प्रदुषण से जीडीपी में भी गिरावट
प्रदुषण से होने वाले नुकसान पर संयुक्त राष्ट्र ने भी खतरे की घंटी बजायी। संयुक्त राष्ट्र जो ताज़ा रिपोर्ट कहती है कि स्कूली बच्चे हर रोज़ साथ सिगरेट के बराबर धुऑं सोख रहे हैं। इतना ही नहीं हर साल प्रदुषण कि वजह से दुनिया भर में लाखों लोगों कि जान जा रही है। इसलिए प्रदुषण केवल किसी एक देश या शहर के लिए नहीं बल्कि दुनिया के लिए बड़ा मुद्दा बन गया है। यूएन कि इस रिपोर्ट में भारत के अलावा इंडोनेशिया और मलेशिया का भी ज़िक्र है। क्वालालम्पुर और जामी समेत इसी साल प्रदुषण कि वजह से हेल्थ इमरजेंसी के हालात बने थे। दिल्ली के तरह इंडोनेशिया में स्कूल और कॉलेज बंद करने कि नौबत आ गयी थी। प्रदुषण के ही कारण स्मोक ने कई शहरों को ढक लिया था। जबकि भारत में तो सर्दी और गर्मी की तरह प्रदुषण भी हर साल आने वाला मौसम बन गया है जिसके सामने सारी तैयारियां बेकार हैं। हर साल आने वाले प्रदुषण के मौसम कि वज़ह से होने वाले नुकसान पर यूएन कि रिपोर्ट में चौकाने वाले आंकड़े दिए गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक इस साल स्कूल जाने वाले बच्चे घर लौटने से पहले पचास से साथ सिगरेट के बराबर धुआं फेफड़ों में सोख चुके होते हैं। यह ऐसा नुकसान है जिसका अंदाजा आने वाले सालों में सामने आएगा, जिससे बच्चे गंभीर और लाइलाज बिमारियों कि चपेट में आ चुके होंगे। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत में एक करोड़ दस लोगों कि जान दो हज़ार पंद्रह में केवल प्रदुषण कि वज़ह से हुई। जबकि भारत में दो हज़ार तीस तक हर साल एक करोड़ सत्तर लाख लोगों कि मौत प्रदुषण की वजह से होने का अनुमान है। इसका असर देश के अर्थव्वस्था पर भी हो रहा है। यूएन की रिपोर्ट कहती है कि भारत कि जीडीपी के एक प्रतिशत के बराबर का नुकसान प्रदुषण के कारण हो रहा है।Submit your review | |
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