The Man Who Lived 70 Years Without Food or Water – A Mystery That Shocked Science

he Man Who Lived 70 Years Without Food or Water – A Mystery That Shocked Science

प्रह्लाद जानी: वो योगी जो 70 साल तक बिना खाएपिए जिंदा रहेविज्ञान भी रह गया हैरान!


🧘‍♂️ कौन थे प्रह्लाद जानी?

प्रह्लाद जानी, जिन्हें “चुनरीवाला माताजी” के नाम से भी जाना जाता था, गुजरात के मेहसाणा जिले के चाराडा गांव में 13 अगस्त 1929 को जन्मे थे। उन्होंने दावा किया कि 1940 से उन्होंने न तो खाना खाया और न ही पानी पिया। उनका कहना था कि देवी अंबा उन्हें एक दिव्य शक्ति के माध्यम से जीवित रखती हैं। ​Wikipedia


🧪 वैज्ञानिक परीक्षण और विवाद

प्रह्लाद जानी के दावों की जांच के लिए दो प्रमुख परीक्षण हुए:​

  • 2003 में, अहमदाबाद के स्टर्लिंग अस्पताल में 10 दिनों तक निगरानी में रखा गया। इस दौरान उन्होंने कुछ भी खाया-पिया नहीं और न ही कोई मल-मूत्र त्याग किया।​
  • 2010 में, भारतीय रक्षा संस्थान (DIPAS) और DRDO के वैज्ञानिकों ने 15 दिनों तक उन्हें 24 घंटे निगरानी में रखा। इस परीक्षण में भी उन्होंने कुछ नहीं खाया-पिया और सभी स्वास्थ्य परीक्षण सामान्य रहे। ​Wikipedia

हालांकि, इन परीक्षणों की रिपोर्ट्स को सार्वजनिक नहीं किया गया और कई वैज्ञानिकों ने इन पर संदेह व्यक्त किया। कुछ विशेषज्ञों का मानना था कि बिना भोजन और पानी के इतने लंबे समय तक जीवित रहना संभव नहीं है। ​The Sunday Times+5Medium+5The Economic Times+5


🧠 दिमाग की संरचना

2017 में IIT मद्रास के वैज्ञानिकों ने उनके मस्तिष्क की इमेजिंग की और पाया कि उनकी पीनियल और पिट्यूटरी ग्रंथियों का आकार एक 10 वर्षीय बच्चे के समान था। यह अध्ययन “Annals of Neurosciences” में प्रकाशित हुआ। ​Wikipedia


🕉️ आध्यात्मिक विश्वास बनाम वैज्ञानिक सोच

प्रह्लाद जानी के अनुयायियों का मानना था कि यह देवी अंबा की कृपा का परिणाम है। वहीं, वैज्ञानिक समुदाय में उनके दावों को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं थीं। कुछ ने इसे मानव शरीर की अज्ञात क्षमताओं का उदाहरण माना, जबकि अन्य ने इसे अविश्वसनीय और असंभव बताया।​


🔚 निष्कर्ष

प्रह्लाद जानी का जीवन और उनके दावे आज भी एक रहस्य बने हुए हैं। उनकी कहानी विज्ञान और आध्यात्मिकता के बीच की उस रेखा को दर्शाती है जहाँ विश्वास और तर्क आमने-सामने होते हैं। चाहे आप इसे चमत्कार मानें या संदेह की दृष्टि से देखें, यह कहानी निश्चित रूप से सोचने पर मजबूर करती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *