A New Era in Indian Art: Husain’s ‘Gram Yatra’ Sells for a Record ₹118 Crore

भारतीय कला जगत में एक नया इतिहास तब रचा गया जब प्रसिद्ध चित्रकार मकबूल फिदा हुसैन (M.F. Husain) की पेंटिंग ग्राम यात्रा नीलामी में रिकॉर्ड 118 करोड़ रुपये में बिकी। यह भारतीय कला के बढ़ते महत्व और उसकी वैश्विक स्वीकृति का एक बड़ा उदाहरण है। इस नीलामी ने हुसैन की कलाकृतियों की अमूल्य विरासत को फिर से चर्चा में ला दिया है।

M.F. Husain: भारतीय कला के पिकासो

मकबूल फिदा हुसैन भारतीय आधुनिक कला के सबसे प्रतिष्ठित चित्रकारों में से एक थे। उन्हें भारतीय कला का ‘पिकासो’ भी कहा जाता है। उनका जन्म 1915 में हुआ था और उन्होंने अपनी कला यात्रा में भारत की संस्कृति, समाज और परंपराओं को जीवंत चित्रों में ढाला। उनकी पेंटिंग्स में भारतीय लोककथाओं, पौराणिक कथाओं और समकालीन समाज का सुंदर समावेश देखने को मिलता है।

‘ग्राम यात्रा’ की विशेषता

ग्राम यात्रा हुसैन की सबसे चर्चित और महंगी पेंटिंग्स में से एक बन गई है। यह चित्र भारत के ग्रामीण जीवन और उसकी सांस्कृतिक विविधता को दर्शाता है। इसमें पारंपरिक भारतीय गांवों की झलक, खेतों में काम करते किसान, लोकनृत्य और जीवन की सरलता को चित्रित किया गया है। हुसैन की अनोखी शैली और उनकी विशिष्ट ब्रश स्ट्रोक्स इस पेंटिंग को बेहद खास बनाते हैं।

भारतीय कला बाजार में नया रिकॉर्ड

भारतीय कला बाजार तेजी से बढ़ रहा है और यह नीलामी इस बात का प्रमाण है कि भारतीय कलाकारों की कृतियां अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी उच्च मूल्य प्राप्त कर रही हैं। ग्राम यात्रा का 118 करोड़ रुपये में बिकना यह दर्शाता है कि भारतीय कला अब न केवल सांस्कृतिक धरोहर के रूप में बल्कि एक बेहतरीन निवेश के रूप में भी देखी जा रही है।

आधुनिक भारतीय कला की बढ़ती लोकप्रियता

पिछले कुछ वर्षों में भारतीय कलाकारों की पेंटिंग्स को वैश्विक कला प्रेमियों ने काफी सराहा है। रज़ा, तैयब मेहता, अमृता शेरगिल, और सैयद हैदर रज़ा जैसे कलाकारों की कृतियां भी ऊंची कीमतों पर नीलाम हो चुकी हैं। यह प्रवृत्ति भारतीय कला जगत के लिए एक सुनहरा दौर साबित हो सकती है।

निष्कर्ष

118 करोड़ रुपये में ग्राम यात्रा की नीलामी न केवल हुसैन के कला-कौशल की पुष्टि करती है, बल्कि भारतीय कला के बढ़ते प्रभाव और इसकी बढ़ती मांग को भी दर्शाती है। यह भारतीय कलाकारों और कला प्रेमियों के लिए गर्व की बात है कि भारतीय कला अब वैश्विक स्तर पर अपनी विशिष्ट पहचान बना रही है।

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