एक देश जहाँ इंसान को मरा हुआ नहीं माना जाता जब तक… वो खुद ना बोले
दुनिया भर में मौत को लेकर कानून और परंपराएं अलग-अलग होती हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक देश ऐसा भी है जहाँ किसी इंसान को तब तक मरा हुआ नहीं माना जाता जब तक वो खुद ना कहे कि वो मर चुका है? यह बात सुनने में जितनी अजीब लगती है, उतनी ही दिलचस्प भी है।
इस चौंकाने वाली परंपरा का ताल्लुक है इंडोनेशिया के टोराजा (Toraja) समुदाय से, जो सुलावेसी (Sulawesi) द्वीप पर रहते हैं। यहाँ मौत को लेकर जो सोच है, वो विज्ञान से नहीं, बल्कि सदियों पुरानी मान्यताओं से जुड़ी है।
🪦 “मौत” का मतलब टोराजा में क्या होता है?
टोराजा समुदाय के लिए कोई इंसान तब तक मरा हुआ नहीं होता जब तक उसका अंतिम संस्कार न हो जाए — और ये अंतिम संस्कार कभी-कभी मौत के महीनों या सालों बाद होता है।
➡ परिवार के लोग तब तक मृत शरीर को घर में ही रखते हैं, उसे खाना भी देते हैं, बात करते हैं, और ऐसे व्यवहार करते हैं जैसे वो बीमार हो, मरा नहीं।
🧍♂️ चलती–फिरती लाशें: “Ma’nene” रस्म
टोराजा में हर साल एक अजीब रस्म होती है — Ma’nene Ceremony। इसमें लोग अपने पूर्वजों की लाशों को बाहर निकालते हैं, उन्हें नए कपड़े पहनाते हैं, साफ-सफाई करते हैं, और गांव में घुमाते हैं।
➡ इस रस्म को सम्मान और प्यार की निशानी माना जाता है, न कि डर या अंधविश्वास।
🏚️ क्यों नहीं करते तुरंत अंतिम संस्कार?
टोराजा समुदाय में अंतिम संस्कार बेहद महंगा और बड़ा आयोजन होता है। कई बार सालों तक परिवार पैसे जोड़ता है ताकि वे मृत व्यक्ति को शानदार विदाई दे सकें। तब तक, शव को विशेष हर्ब्स से संरक्षित कर के घर में रखा जाता है।
🔬 विज्ञान क्या कहता है?
वैज्ञानिक नजरिए से देखें तो ये परंपरा हैरान करने वाली है, लेकिन अभी तक कोई गंभीर हेल्थ इमरजेंसी इससे नहीं जुड़ी है क्योंकि वे शवों को विशेष तकनीक से संरक्षित करते हैं।
🔚 निष्कर्ष:
टोराजा समुदाय की यह अनोखी परंपरा दुनिया को ये दिखाती है कि मौत सिर्फ शरीर के जाने का नाम नहीं है — ये एक सामाजिक और भावनात्मक प्रक्रिया है। जहाँ दुनिया मौत को डर से देखती है, वहीं टोराजा वाले इसे प्यार और सम्मान से जीते हैं।
क्या आप सोच सकते हैं किसी ऐसे घर में रहना जहाँ मृतक आज भी परिवार का हिस्सा माना जाता हो?