Why Do We Have Over 80,000 Thoughts a Day — And Most of Them Are Negative?

Why Do We Have Over 80,000 Thoughts a Day

दिमाग में हर दिन 80,000+ सोचें आती हैंलेकिन ज़्यादातर निगेटिव ही क्यों होती हैं? 🧠⚡

क्या आप जानते हैं कि हमारे दिमाग में हर दिन लगभग 80,000 से ज्यादा विचार (thoughts) आते हैं? यानी हर मिनट करीब 55 सोचें! 😲 लेकिन हैरानी की बात ये है कि इन हजारों विचारों में से लगभग 70% से 80% निगेटिव होते हैं।

आख़िर ऐसा क्यों होता है? क्या हमारा दिमाग खुद ही हमें दुखी करना चाहता है? या इसके पीछे कोई साइंटिफिक वजह है? चलिए जानते हैं… 🔍


🧠 ये आंकड़े क्या कहते हैं?

  • एक रिसर्च के मुताबिक़, इंसान हर दिन 80,000 से ज़्यादा विचार सोचता है
  • इनमें से लगभग 60,000 विचार दोहराए हुए (repetitive) होते हैं
  • और उनमें से 70-80% नेगेटिव (negative) होते हैं
    ➡️ यानी हमारा दिमाग ज़्यादातर समय पुराने नेगेटिव पैटर्न दोहराता रहता है

😨 निगेटिव सोचों का कारण क्या है?

1. Survival Mechanism (बचाव की प्रवृत्ति)

हज़ारों साल पहले इंसानों का दिमाग इस तरह विकसित हुआ कि वो खतरे को पहले पहचाने, ताकि बच सकें।
➡️ इसी वजह से हमारा दिमाग हमेशा “क्या गलत हो सकता है” पर ध्यान देता है।

2. Negativity Bias (नकारात्मकता की प्रवृत्ति)

दिमाग को नकारात्मक अनुभव ज़्यादा गहराई से याद रहते हैं, क्योंकि वे हमें भविष्य के खतरे से बचा सकते हैं।
✅ इसलिए एक बुरी बात हमें ज़्यादा देर तक परेशान करती है, जबकि अच्छी बातें जल्दी भूल जाती हैं।

3. Overthinking + Past Events

हम अक्सर अपने अतीत की गलतियों या दुखद अनुभवों को दोहराते रहते हैं – “काश ऐसा न किया होता…”
➡️ यह सोच बिना रुके चलती रहती है और बार-बार हमें चिंता में डाल देती है।

4. Social Comparison (तुलना की आदत)

सोशल मीडिया और समाज में दूसरों से तुलना करने से हम खुद को कमतर महसूस करते हैं, जिससे निगेटिव सोचें और बढ़ जाती हैं 😓📱


🤯 क्या हर निगेटिव सोच बुरी होती है?

नहीं!
हर निगेटिव सोच हानिकारक नहीं होती। कुछ सोचें आपको सावधान करती हैं, सुधारने की प्रेरणा देती हैं, और जोखिम से बचाती हैं।
लेकिन जब निगेटिविटी का स्तर बहुत ज्यादा हो जाए और वह तनाव, चिंता या डिप्रेशन में बदलने लगे – तब वो नुकसानदायक हो जाती है।


🧘‍♀️ क्या इसका समाधान है?

बिलकुल! आप अपनी सोच को पॉजिटिव दिशा में मोड़ सकते हैं:

जर्नलिंग करें – हर दिन अपनी सोचें लिखें, नेगेटिव पैटर्न को पहचानें ✍️
ग्रैटिट्यूड प्रैक्टिस – रोज़ 3 चीज़ें लिखें जिनके लिए आप आभारी हैं 🙏
माइंडफुलनेस मेडिटेशन – विचारों को कंट्रोल नहीं, उन्हें बस “देखना” सीखें 🧘
सोशल मीडिया डिटॉक्स – दूसरों की ज़िंदगी से तुलना करना बंद करें
सकारात्मक लोगों के साथ समय बिताएं – माहौल बदलने से सोच भी बदलती है 🌈


🔚 निष्कर्ष

आपका दिमाग एक शक्तिशाली मशीन है – लेकिन इसकी डिफ़ॉल्ट सेटिंगबचाव मोड में होती है।
निगेटिव सोच आना स्वाभाविक है, लेकिन उसमें फंसे रहना आवश्यक नहीं

आप जितना सचेत रूप से पॉजिटिव चीजों पर ध्यान देंगे, उतना ही आपका दिमाग खुद को रीप्रोग्राम करेगा।

तो अगली बार जब कोई निगेटिव सोच आएखुद से पूछिए, “क्या ये सोच मेरी मदद कर रही है?”
अगर नहीं, तो उसे जाने दीजिए। 🌿💭


क्या आप भी दिनभर सोचते रहते हैं? और ज़्यादातर सोचें निगेटिव होती हैं? नीचे कमेंट में बताएं और शेयर करें ये पोस्ट उन लोगों के साथ जिन्हें इसकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत है! 💬👇

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