ऐतिहासिक मस्जिद को किया गया शिफ्ट
असम में १९५ साल पुराणी एक ऐतिहासिक मस्जिद की दीवार को बिना तोड़े हाईवे से दूर शिफ्ट किया जा रहा है इस के लिए लिफ्टिंग और शिफ्टिंग तकनीक का इश्तेमाल किया जा रहा है जिसमे दो मंज़िलों वाली इस दीवार को नीव समेत कई जैक की मद्दत से इसे ऊपर उठाया गया साथ की मीनार के बगल में कई छोटे छोटे चबूतरे बनाये गए जिनपर रोलर की मद्दत से मीनार को धीरे धीरे आगे सरकाया गया चबूतरों के आगे मीनार को टिकने के लिए सीमेंट से बना एक गोल प्लेटफॉर्म बनाया गया है जिसपर मीनार को स्थापित कर दिया जायेगा। बताया गया की मस्जिद की मीनार हाईवे के ठीक किनारे पर है जिसकी वजह से हाईवे को चौड़ा करने में दिक्कत आ रही थी उसके बाद लोगों ने मस्जिद को संरक्षित रखने की मुहीम शुरू की और जो एक कंपनी को मस्जिद को शिफ्ट करने का ज़िम्मा सौपा गया जिसके बाद मीनार को हाईवे से ७० फ़ीट दूर शिफ्ट करने का काम शुरुर किया गया । मीनार को हटाने का काम ५० प्रतिशत पूरा हो चूका है । मीनार को शिफ्ट करने से पहले वहां के मुस्लिम समुदाय के लोगों से चर्चा की गयी और सभी की सहमति के बाद ही मीनार को दूसरी जगह शिफ्ट करने का काम शुरू किया गया। बताया जाता है की ये मीनार करीब १९५ साल पुराणी है जो १८२४ में बनकर तैयार हुए थी । दावा किया जाता है की असम में १५० में आये भीषण भूकम में भी ये मीनार नहीं गिरी थी । मस्जिद के मीनार को हंस के अंडो, चावल और खास तरह की मिटटी से बनाया गया है। मस्जिद की ये मीनार पुरे आसाम में आस्था का प्रतीक मानी जाती है। हाईवे या किसी दूसरे प्रोजेक्ट के लिए धर्म से जुडी इमारतों को हटाना लोगों की भावना भड़काने वाला होता है। अच्छी बात ये है की तकनीक की वजह से मस्जिद को शिफ्ट भी कर दिया गया और लोगों की भावनाएं भी आहत नहीं हुई।Submit your review | |
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